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Sher O Shayari by Mirza Ghalib – कालजयी उर्दू कविताएँ (2025)
Mirza Ghalib (1797‑1869) को उर्दू शायरी का बादशाह कहा जाता है। उनके शेर दिल की गहराइयों को छूते हैं और हर दौर में प्रासंगिक रहते हैं। Sher O Shayari Ghalib पढ़ना आत्म–अन्वेषण की तरह है—हर दो मिसरों में ज़िंदगी, मोहब्बत और फ़लसफ़ा समाया होता है।
ग़ालिब की शायरी क्यों Evergreen है?
ग़ालिब के शेर classical Urdu poetry की मिसाल हैं: सधी हुई भाषा, सूफ़ियाना दर्शन और तीखा व्यंग्य। Ghalib quotes in Hindi‑Urdu, famous Ghalib couplets और love shayari by Ghalib है।
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ग़ालिब के 10 अमर शेर
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
दिल‑ए‑नादान तुझे हुआ क्या है, आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?
कोई उम्मीद बर नहीं आती, कोई सूरत नज़र नहीं आती।
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इश्क़ पर ज़ोर नहीं, है ये वो आतिश ग़ालिब
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने।
दिल ही तो है न संग‑ओ‑ख़िश्त, दर्द से भर न आए क्यों;
रोएँगे हम हज़ार बार, कोई हमें सताए क्यों।
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है।
न थी हाल की जब हमें अपने ख़बर, रहे देखते औरों के अछर;
हुई ये हमे معلوم, कि हम थे तो क्या है।
बाज़ीचा‑ए‑अत्फ़ाल है दुनिया मेरे आगे,
होता है शब‑ओ‑रोज़ तमाशा मेरे आगे।
रंग लाएगी हमारी फ़ाक़ा‑मस्ती एक दिन,
देखिए किस दिन पे ‘ग़ालिब’ ये फ़साद होता है।
हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया, पर याद आता है,
वो हर एक बात पे कहना कि यूँ होगा तो क्या होगा।
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