Advertisement

Shayari Galib

Shayari Galib

Advertisement

मिर्ज़ा ग़ालिब को उर्दू शायरी का बादशाह कहा जाए तो गलत नहीं होगा। उनका नाम आते ही ज़ेहन में वो अल्फ़ाज़ गूंजने लगते हैं जो इश्क़, ग़म, तन्हाई और ज़िंदगी के हर रंग को बेहद ख़ूबसूरती से बयां करते हैं। ग़ालिब की शायरी आज भी उतनी ही असरदार है जितनी उनके ज़माने में थी, शायद इसीलिए उन्हें हर दौर में पढ़ा और महसूस किया जाता है।

ग़ालिब की सोच, उनका दर्शन, और उनका शेर कहने का अंदाज़ कुछ ऐसा था कि उनकी हर बात दिल में उतर जाती है। वो महज़ शायर नहीं थे, बल्कि एक ऐसे चिंतक थे जिन्होंने इंसानी जज़्बातों को अल्फ़ाज़ का लिबास पहनाया। उनकी शायरी पढ़ना एक अनुभव है जो पाठक को अंदर तक झकझोर देता है।

Advertisement

ग़ालिब के शेरों में मोहब्बत की मासूमियत भी है और तजुर्बों की तल्ख़ सच्चाई भी। वो जो कहते थे, वो बस लफ़्ज़ नहीं होते थे बल्कि जज़्बात होते थे जो हर दिल को छू जाते हैं। उनकी शायरी को पढ़ते हुए लगता है जैसे किसी पुराने दोस्त से बातें कर रहे हों जो हर बात में सच्चाई कहता है, चाहे वो कितनी भी तल्ख़ क्यों न हो।

यहाँ पेश हैं मिर्ज़ा ग़ालिब उर्फ़ Shayari Galib के चुनिंदा शेर, जो आज भी उतनी ही शिद्दत से पढ़े और शेयर किए जाते हैं।

Shayari Galib – मिर्ज़ा ग़ालिब के अमर शेर

“दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर न आये क्यों,
रोएंगे हम हज़ार बार, कोई हमें सताए क्यों?”

Advertisement

“हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।”

“न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता,
डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता।”

“कोई उम्मीद बर नहीं आती,
कोई सूरत नज़र नहीं आती।”

“हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल के बहलाने को ‘ग़ालिब’ ये ख़याल अच्छा है।”

“इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’,
कि लगाए न लगे और बुझाए न बने।”

“रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल,
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है?”

“हुई मुद्दत कि ‘ग़ालिब’ मर गया, पर याद आता है,
वो हर इक बात पर कहना कि ‘यूँ होता तो क्या होता’।”

“हर एक बात पे कहते हो तुम कि ‘तू क्या है’,
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है?”

“बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना,
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना।”

ग़ालिब की शायरी को दोस्तों के साथ शेयर करें

ग़ालिब के अल्फ़ाज़ सिर्फ पढ़ने के लिए नहीं हैं, वो बाँटने के लिए हैं। Shayari Galib को आप WhatsApp पर स्टेटस के रूप में लगाएं, Facebook पर अपने दिल की बात साझा करें, या Instagram पर कैप्शन के तौर पर इस्तेमाल करें। Twitter (अब X), Telegram, और Threads जैसे अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर भी आप इन शेरों को अपने दोस्तों और चाहने वालों से शेयर कर सकते हैं। मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी आज भी उतनी ही ज़िंदा है जितनी उनके दौर में थी, उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाएं।

OTHER AVAILABLES:

Author

We will be happy to hear your thoughts

Leave a reply

Shayari
Logo
Shopping cart