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ख़ुदा का नाम लेते ही इंसान के दिल को सुकून मिलता है। अल्फ़ाज़ जब रूह से निकलते हैं तो वह इबादत का रूप ले लेते हैं। ख़ुदा से जुड़ी शायरी हमें उसकी रहमत और करम की याद दिलाती है। ऐसी शायरी दिलों में मोहब्बत, सच्चाई और इंसानियत का एहसास जगाती है।
ख़ुदा की शायरी न सिर्फ पढ़ने वाले को तसल्ली देती है, बल्कि यह विश्वास भी दिलाती है कि हर मुश्किल आसान हो सकती है अगर इंसान ईमान और सब्र रखे। लफ़्ज़ों की खूबसूरती हमें अल्लाह की अज़मत और उसकी मेहरबानियों की तरफ़ खींचती है।
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इस तरह की शायरी को पढ़कर इंसान को लगता है कि उसका रिश्ता सीधे अपने ख़ालिक़ यानी बनाने वाले से जुड़ रहा है। यह दिल को मज़बूत करती है और हर हाल में शुक्र अदा करने का पैग़ाम देती है।
ख़ुदा पर आधारित शायरी
ख़ुदा से बढ़कर कोई सहारा नहीं, वो हर दर्द में हमारा किनारा नहीं।
दुआओं में बस नाम उसका लिया करो, ख़ुदा हर ग़म को आसान कर दिया करो।
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जिसके दिल में खुदा बसा होता है, वो हर हाल में हँसता मुस्कुराता होता है।
ख़ुदा के दर से कोई खाली नहीं लौटता, वो मेहरबान है, किसी को कम नहीं देता।
तेरा नाम लेकर रो पड़ते हैं हम, ख़ुदा तू ही तो है हमारा रहम।
इबादत में जो दिल लगाते हैं, ख़ुदा उनको रहमत से नवाज़ते हैं।
ख़ुदा के बिना कोई राह नहीं मिलती, उसके दर पर ही सुकून की मंज़िल मिलती।
ख़ुदा का करम है तो सब कुछ है, वरना ज़िंदगी का हर लम्हा अधूरा है।
ख़ुदा से बढ़कर कोई रिश्ता नहीं, वो हर दिल के सबसे ज़्यादा क़रीब है यहीं।
मुसीबतों में जब कोई काम न आए, ख़ुदा ही है जो दिलासा दिलाए।
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