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कफ़न शायरी हिंदी साहित्य और शायरी की दुनिया का एक ऐसा पहलू है, जो जीवन और मृत्यु की गहराई को शब्दों में पिरोता है। यह शायरी सिर्फ विदाई या अंत की बात नहीं करती, बल्कि इंसानियत, मोहब्बत और दर्द के एहसास को भी बखूबी बयान करती है।
कफ़न शायरी में अक्सर विरह, जुदाई और इंसानी रिश्तों का ज़िक्र आता है। यह उन अनकहे लम्हों की याद दिलाती है, जिन्हें हम जीते तो हैं, लेकिन शब्दों में बयान करना मुश्किल होता है। शायर अपने अल्फ़ाज़ों के ज़रिए इन भावनाओं को सजीव बना देते हैं।
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हिंदी और उर्दू की दुनिया में कफ़न शायरी ने हमेशा एक खास जगह बनाई है। इसकी गहराई पाठकों के दिलों तक पहुँचती है और उन्हें सोचने पर मजबूर कर देती है कि जीवन कितना नाज़ुक और अनमोल है।
आज भी लोग कफ़न शायरी को पढ़कर और सुनकर अपने जज़्बातों को दूसरों तक पहुँचाते हैं। चाहे यह दर्द के लिए हो, मोहब्बत के लिए या इंसानियत के लिए, कफ़न शायरी हर दौर में प्रासंगिक रही है।
कफ़न शायरी संग्रह
कफ़न ओढ़कर भी तेरा नाम लूँगा, मौत के बाद भी तुझसे मोहब्बत करूँगा।
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कफ़न की चादर में छुपा लिया जिस्म, मगर यादें तेरी अब भी ज़िंदा हैं।
मौत का मंज़र भी अधूरा लगे, जब तेरी तस्वीर आँखों से ना उतरे।
कफ़न से लिपटा हुआ था तन मेरा, मगर तेरे इश्क़ से लिपटा था मन मेरा।
मौत आई तो कफ़न मिला, तेरी याद आई तो सुकून मिला।
कफ़न में सोया हूँ आज भी, तेरी मोहब्बत जगाती है रोज़ मुझे।
तेरे बिना ज़िंदगी अधूरी थी, मौत में भी तेरी कमी महसूस होती है।
कफ़न का बोझ तो हल्का था, तेरे ग़मों का बोझ भारी निकला।
जब कफ़न ओढ़ा तब एहसास हुआ, मोहब्बत मौत से भी बड़ी होती है।
तेरे ग़म ने ज़िंदा रखा, वरना कफ़न तो कब का ओढ़ चुका था।
कफ़न शायरी और सोशल मीडिया
आज के दौर में कफ़न शायरी को लोग अपने जज़्बातों को व्यक्त करने के लिए सोशल मीडिया पर साझा करते हैं। चाहे WhatsApp पर किसी करीबी को भेजना हो, Facebook पर एक पोस्ट लिखनी हो, Twitter पर छोटे अल्फ़ाज़ों में लिखना हो या Instagram पर स्टोरी और रील्स में डालना हो—हर जगह कफ़न शायरी अपनी जगह बना लेती है। इसकी गहराई हर दिल को छू लेती है और लोगों को आपस में जोड़ देती है।