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कफ़न शायरी इंसानी जज़्बातों की सबसे गहरी तस्वीर पेश करती है। यह शायरी सिर्फ़ मौत की हकीकत नहीं बताती, बल्कि मोहब्बत, जुदाई और यादों को भी बयान करती है। इसमें वह दर्द छुपा है, जिसे शब्दों से बयां करना आसान नहीं होता।
कई शायरों ने कफ़न को अपनी शायरी का हिस्सा बनाकर ज़िंदगी और मौत की सच्चाई को खूबसूरती से व्यक्त किया है। यह अशआर हमें सोचने पर मजबूर करते हैं कि इंसान की मोहब्बत और उसकी यादें मौत के बाद भी ज़िंदा रहती हैं।
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कफ़न शायरी की खूबसूरती यही है कि यह हर दिल को छू जाती है। इसमें मोहब्बत का दर्द भी है, इंसानियत का संदेश भी और जुदाई का एहसास भी। इसे पढ़कर कोई भी इंसान अपने बीते लम्हों और रिश्तों को याद किए बिना नहीं रह सकता।
आज के दौर में भी कफ़न शायरी उतनी ही प्रासंगिक है। चाहे वह दर्द को समझने के लिए हो या मोहब्बत की गहराई को महसूस करने के लिए, यह शायरी हर वक्त और हर दिल में जगह बना लेती है।
कफ़न शायरी संग्रह
कफ़न ओढ़ कर भी तेरी यादों का साया नहीं छूटा।
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मौत आई तो कफ़न मिला, मगर तेरी मोहब्बत अब भी ज़िंदा है।
कफ़न की सफ़ेदी में भी तेरी तस्वीर साफ़ झलकती है।
जिस्म कफ़न में छुप गया, मगर रूह तेरे नाम से रोशन रही।
कफ़न से लिपटा तन था, मगर दिल तेरे ग़मों में कैद रहा।
तेरी जुदाई का कफ़न ओढ़कर भी आँखें तेरा इंतज़ार करती रहीं।
कफ़न में सोए हुए तन को तेरी मोहब्बत जगाती रही।
मौत ने सब छीन लिया, मगर तेरी यादों ने मुझे ज़िंदा रखा।
कफ़न से बढ़कर भी तेरे इश्क़ ने मुझे ढक लिया।
हर शख़्स को कफ़न की मंज़िल मिलती है, मगर मोहब्बत अमर रहती है।
कफ़न शायरी और सोशल मीडिया
आज के डिजिटल समय में कफ़न शायरी को लोग WhatsApp, Facebook, Twitter और Instagram जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर साझा करते हैं। कोई इसे अपने स्टेटस के रूप में लिखता है, कोई दिल की बात पोस्ट में व्यक्त करता है, तो कोई तस्वीर और वीडियो के साथ रील बनाकर अपनी भावनाएँ साझा करता है। इस तरह शायरी न केवल यादों को ज़िंदा रखती है, बल्कि लोगों को दिलों से जोड़ने का काम भी करती है।