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जुम्मा मुबारक शायरी दुआओं, मोहब्बत और रहमत का पैग़ाम होती है। यह सिर्फ़ अल्फ़ाज़ नहीं, बल्कि एक एहसास है जो दिल से निकलकर दूसरों के लिए नेक ख़्वाहिशों में बदल जाता है। जुम्मे का दिन बरकतों और सुकून का दिन माना जाता है, और इसी दिन की अहमियत को शायरी के ज़रिए और भी खास बनाया जाता है।
जुम्मा मुबारक शायरी में इंसानियत, मोहब्बत और दुआ की महक होती है। यह हमें याद दिलाती है कि हर इंसान के लिए नेक ख़्याल और शुभकामनाएँ रखना कितना जरूरी है। इस दिन की शायरी रिश्तों को मज़बूत करती है और दिलों में इबादत की रौशनी भर देती है।
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लोग जुम्मा के दिन अपने दोस्तों और परिवार को खास संदेश भेजते हैं। शायरी उस संदेश को और खूबसूरत बना देती है। यह न सिर्फ़ अल्लाह से जुड़ने का एहसास कराती है, बल्कि आपसी मोहब्बत और भाईचारे को भी गहरा करती है।
आज भी जुम्मा मुबारक शायरी को पढ़ना और साझा करना एक परंपरा की तरह है। यह हमें सिखाती है कि नेक दुआएँ हमेशा ज़िंदगी को आसान और दिल को सुकून देने का जरिया होती हैं।
जुम्मा मुबारक शायरी संग्रह
जुम्मा का दिन है, रहमतों की बरसात हो, दुआ है आपकी हर दुआ कबूल हो।
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जुम्मा मुबारक हो आपको, रब की रहमतें आपके साथ हों हर पल।
दुआओं की कश्ती पे सवार होकर, अल्लाह से जुड़ने का दिन है जुम्मा।
जुम्मा के दिन की नमाज़, दिलों को सुकून और रूह को रौशनी देती है।
जुम्मा की सुबह रब का नूर लेकर आती है, जो दिलों को मोहब्बत से भर देती है।
जुम्मा मुबारक हो, हर ख्वाहिश पूरी हो, हर ग़म दूर हो।
जुम्मा का दिन है दुआओं का, हर दिल में बसती है मोहब्बत का पैग़ाम।
रब की रहमतें जुम्मा के दिन सबसे ज्यादा बरसती हैं, अल्लाह सबको खुश रखे।
जुम्मा मुबारक हो, दुआ है आपकी ज़िंदगी खुशियों से भर जाए।
हर जुम्मा हमें याद दिलाता है, कि सच्चा सुकून सिर्फ़ अल्लाह की याद में है।
जुम्मा मुबारक शायरी और सोशल मीडिया
आजकल लोग जुम्मा मुबारक शायरी को WhatsApp स्टेटस, Facebook पोस्ट, Twitter मैसेज और Instagram स्टोरीज़ के रूप में साझा करते हैं। यह शायरी न सिर्फ़ दुआ का पैग़ाम देती है बल्कि रिश्तों को और करीब लाने का काम करती है। जब हम अपनी नेक ख़्वाहिशें सोशल मीडिया पर साझा करते हैं, तो वह औरों तक भी पहुँचती हैं और दुआएँ कई गुना बढ़ जाती हैं।