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जावेद अख्तर भारतीय साहित्य और फिल्म जगत के उन चुनिंदा नामों में से हैं, जिन्होंने अपने शब्दों से पीढ़ियों को प्रभावित किया है। उनकी शायरी सिर्फ़ अल्फ़ाज़ का खेल नहीं, बल्कि दिल के सबसे गहरे जज़्बात की झलक है। जब वे लिखते हैं, तो हर शब्द एक नए मायने और हर शेर एक नई अनुभूति को जन्म देता है।
हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं के मेल से बनी उनकी शायरी इंसान के जीवन, मोहब्बत, दर्द, रिश्तों और उम्मीदों का सुंदर चित्रण करती है। यही वजह है कि उनके लिखे हुए शेर और नग़मे आज भी लोगों के दिलों में गूंजते हैं।
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जावेद अख्तर की शायरी को पढ़ते समय ऐसा लगता है जैसे कोई आईना सामने खड़ा हो, जिसमें हमारी अपनी ज़िंदगी के अनुभव और भावनाएँ साफ़-साफ़ नज़र आती हों। उनके लिखे शब्द हमें सोचने, महसूस करने और जीने का नया अंदाज़ देते हैं।
जावेद अख्तर की मशहूर शायरी
“ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल में गुज़री हमसे,
अजनबी हम भी हुए लोगों से बेगाने भी।”
“कभी-कभी यूँ ही देख लेता हूँ मैं आईने में,
तेरा चेहरा है कि मेरा चेहरा मुझे समझ नहीं आता।”Advertisement
“मैंने देखा है उस घर को भी उजड़ते हुए,
जिस घर में कभी सूरज ठहरा करता था।”
“कुछ तो हवा भी सर्द थी कुछ था तेरा ख़याल भी,
दिल को ख़ुशी के साथ-साथ होता रहा मलाल भी।”
“हमें तो अपनों ने लूटा, ग़ैरों में कहाँ दम था,
मेरी कश्ती वहाँ डूबी जहाँ पानी कम था।”
“ज़ुबान जब भी खुली झूठ ही बयाँ हुआ,
हमारे शहर में सच बोलना गुनाह हुआ।”
“अब जो भी है सो है, मगर एक ज़माना था,
हम भी वहीं थे और करिश्मा भी हुआ करता था।”
“मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का,
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले।”
“हर शख़्स यही सोचता है कि वो सही है,
सच्चाई सिर्फ़ सच बोलने से साबित नहीं होती।”
“अब कौन सा चेहरा ढूँढोगे इस भीड़ में,
यहाँ हर शख़्स ने नक़ाब पहन रखा है।”
शायरी साझा करने का तरीका
जावेद अख्तर की शायरी सिर्फ़ पढ़ने के लिए नहीं, बल्कि साझा करने के लिए भी है। इन्हें आप आसानी से अपने दोस्तों और परिवार के साथ WhatsApp, Facebook, Twitter, Instagram और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर शेयर कर सकते हैं। जब इन अल्फ़ाज़ को आप दूसरों तक पहुँचाते हैं, तो ये शेर और भी ज़्यादा लोगों के दिलों को छूते हैं।