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डॉ. मोहम्मद इक़बाल उर्दू और फ़ारसी शायरी के महान कवि रहे हैं। उनकी रचनाएँ न केवल साहित्य की धरोहर हैं बल्कि प्रेरणा का स्रोत भी हैं। “Iqbal Ki Shayari” में जीवन दर्शन, इंसानियत, और खुदी (आत्मा) के विचार गहराई से झलकते हैं। उनके शब्द आज भी उतने ही ताज़गी भरे और प्रभावशाली हैं जितने उनके समय में थे।
इक़बाल की शायरी इंसान को अपने अस्तित्व को पहचानने और ऊँचाइयों को छूने की प्रेरणा देती है। उनकी कविताओं में सिर्फ़ भावनाएँ ही नहीं बल्कि जीवन जीने का एक दृष्टिकोण मिलता है। उनका लेखन हर दौर के लिए प्रासंगिक और हमेशा जीवित रहेगा।
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आज हम आपके लिए प्रस्तुत कर रहे हैं कुछ मशहूर और यादगार “Iqbal Ki Shayari” जो उनके विचारों और संदेशों को समझने का अवसर देती है। इन्हें पढ़कर मन में नई ऊर्जा और सोच का संचार होता है।
Iqbal Ki Shayari के मशहूर अशआर
ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले,
ख़ुदा बन्दे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है।
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं,
अभी इश्क़ के इम्तिहान और भी हैं।Advertisement
अगर फ़िरदौस ज़मीं पर है कहीं,
तो है वो, है वो, है वो यहीं।
तू शाहीं है, परवाज़ है काम तेरा,
तेरे सामने आसमाँ और भी हैं।
सजदा तो एक सर झुकाना है,
असली सजदा तो ख़ुदी को मिटाना है।
नहीं है ना-उम्मीद इक़बाल अपनी किस्मत से,
ज़रा नम हो तो ये मिट्टी बड़ी ज़रख़ेज़ है साक़ी।
मोहब्बत मुझे उन जवानों से है,
सितारों पे जो डालते हैं कमाँ।
हज़ारों साल नरगिस अपनी बे-नूरी पे रोती है,
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदावर पैदा।
ख़ुदी का सर-निहाँ ला इलाहा इल्लल्लाह,
ख़ुदी है तीर, ख़ुदी है तीरंदाज़।
ख़ुदी में डूब जा ग़ाफ़िल, ये सर-ए-राह आसान नहीं,
तू है फ़कीर तो रह, फ़क़्र से जहाँ रोशन है।
Iqbal Ki Shayari साझा करने का महत्व
इक़बाल की शायरी केवल पढ़ने तक सीमित नहीं रहती बल्कि इसे साझा करना भी एक सुंदर अनुभव है। आप इन शायरियों को WhatsApp, Facebook, Twitter, Instagram और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा कर सकते हैं। यह न केवल शब्दों की सुंदरता को फैलाता है बल्कि विचारों और प्रेरणाओं को भी आगे बढ़ाता है।
आज के डिजिटल दौर में “Iqbal Ki Shayari” दुनिया भर में लोगों के दिलों को छू रही है। इन्हें पढ़ें, महसूस करें और अपने प्रियजनों के साथ साझा करें ताकि इक़बाल के विचार और भी दूर तक पहुँचे।