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Ghalib Ki Shayari in Hindi

Ghalib Ki Shayari in Hindi

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Ghalib Ki Shayari in Hindi पढ़ना दिल की गहराइयों तक पहुँचने जैसा अनुभव है। मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी भावनाओं की सच्ची तस्वीर है, जिसमें मोहब्बत की मिठास, जुदाई का दर्द और जीवन की सच्चाइयाँ शब्दों के माध्यम से बखूबी सामने आती हैं। उनकी शायरी हर युग में उतनी ही जीवंत लगती है जितनी उनके दौर में थी।

ग़ालिब के अशआर में हर इंसान अपने दिल की बात ढूँढ सकता है। जब कोई प्यार में होता है या दर्द से गुज़र रहा होता है, तो ग़ालिब की शायरी उसकी भावनाओं का आईना बन जाती है। यही वजह है कि उनकी पंक्तियाँ हिंदी में भी उतनी ही आत्मीयता के साथ पढ़ी और समझी जाती हैं।

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आज की डिजिटल दुनिया में ग़ालिब की शायरी पहले से कहीं अधिक लोकप्रिय हो चुकी है। लोग इन्हें WhatsApp, Facebook, Twitter और Instagram पर साझा करते हैं। कई पाठक अपने मूड और भावनाओं के अनुसार shayari संग्रह खोजते हैं और उन्हें अपने दोस्तों और परिवार के बीच फैलाते हैं। इस तरह ग़ालिब की शायरी लोगों के जीवन का हिस्सा बनी रहती है।

ग़ालिब की शायरी का जादू

ग़ालिब की शायरी आज भी हर दिल को छू लेती है। उनकी पंक्तियाँ इंसान को सोचने और महसूस करने के लिए प्रेरित करती हैं। चाहे वह मोहब्बत हो, दर्द हो या तन्हाई, ग़ालिब हर भावना को इतने सरल और गहरे शब्दों में पेश करते हैं कि पाठक उसमें खो जाता है। यही कारण है कि ग़ालिब की शायरी हिंदी में भी उतनी ही लोकप्रिय है।

प्रसिद्ध Ghalib Ki Shayari in Hindi

दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है, आखिर इस दर्द की दवा क्या है।

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हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।

इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ग़ालिब, कि लगाये न लगे और बुझाये न बने।

बाज़ीचा-ए-अत्फ़ाल है दुनिया मेरे आगे, होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे।

तेरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूट जाना, कि खुशी से मर न जाते अगर एतबार होता।

ना था कुछ तो खुदा था, कुछ न होता तो खुदा होता, डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता।

न दिल में सुकून रहता है, न आँखों में करार आता है, ग़ालिब तेरी शायरी पढ़कर हर दर्द नया हो जाता है।

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर न आए क्यूँ, रोएंगे हम हज़ार बार, कोई हमें सताए क्यूँ।

रहिए अब ऐसी जगह चल कर जहाँ कोई न हो, हमसुख़न कोई न हो और हमज़बाँ कोई न हो।

ग़ालिब खुदा के वास्ते परहेज़ कर ग़ज़ब से, ऐसा न हो कि देख के रो दें सभी तुझे।

डिजिटल युग में ग़ालिब की शायरी साझा करना

पहले ग़ालिब की शायरी सिर्फ किताबों और महफ़िलों तक सीमित थी, लेकिन आज यह सोशल मीडिया के माध्यम से दुनिया भर में साझा की जाती है। लोग WhatsApp स्टेटस में उनके शेर लिखते हैं, Facebook पोस्ट्स और Twitter थ्रेड्स पर भावनाओं को व्यक्त करते हैं और Instagram पर खूबसूरत डिज़ाइन के साथ प्रस्तुत करते हैं। इस तरह ग़ालिब की शायरी हर पीढ़ी तक पहुँचती है और लोगों को जोड़ती रहती है।

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