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Galib Ki Shayari Hindi में इंसान की भावनाओं और जीवन के गहरे अनुभवों को शब्दों का रूप दिया गया है। ग़ालिब की शायरी सिर्फ मोहब्बत या दर्द तक सीमित नहीं रही, बल्कि इसमें इंसानियत, तजुर्बा और जिंदगी के हर पहलू का जिक्र मिलता है।
आज भी उनकी लिखी हुई पंक्तियाँ दिलों को छू लेती हैं और हर दौर में उतनी ही प्रासंगिक लगती हैं जितनी उनके समय में थीं। यही कारण है कि ग़ालिब को उर्दू और हिंदी अदब का सबसे बड़ा नाम माना जाता है।
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पढ़ने वाले उनके अल्फ़ाज़ों में अपने दिल की बात ढूंढ लेते हैं। उनकी रचनाएँ आज भी किताबों से लेकर डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म तक उतनी ही पसंद की जाती हैं। लोग भावनाओं को व्यक्त करने के लिए खूबसूरत shayari का सहारा लेते हैं और ग़ालिब की शायरी उनमें सबसे खास जगह रखती है।
ग़ालिब की शायरी का जादू हर दिल पर असर करता है। उनके शब्द मोहब्बत, दर्द, उम्मीद और इंसानी रिश्तों की गहराई को छूते हैं।
Galib Ki Shayari Hindi
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले, बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
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दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर न आए क्यों, रोएंगे हम हज़ार बार, कोई हमें सताए क्यों।
ना था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता, डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता।
बस कि दुश्वार है हर काम का आसां होना, आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसां होना।
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता, अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता।
हुई मुद्दत कि ग़ालिब मर गया पर याद आता है, वो हर इक बात पे कहना कि यूँ होता तो क्या होता।
रंज से ख़ूगर हुआ इंसान तो मिट जाता है रंज, मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसां हो गईं।
तेरे वादे पर जिए हम तो ये जान झूठ जाना, कि ख़ुशी से मर न जाते अगर ए’तबार होता।
ग़म अगरचे जाँ-गुदाज़ है, पर कहाँ बचें कि दिल के पास है।
इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’, कि लगाए न लगे और बुझाए न बने।
Sharing the Poetry
Galib Ki Shayari Hindi का इस्तेमाल लोग अक्सर WhatsApp, Facebook, Instagram और Twitter पर अपने जज़्बात बयान करने के लिए करते हैं। चाहे स्टेटस लगाना हो या किसी पोस्ट के लिए कैप्शन, ग़ालिब की शायरी हर मौके को ख़ास बना देती है।