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सूफी संत बुल्लेह शाह की शायरी उनके गहरे विचारों और जीवन की सच्चाइयों को उजागर करती है। उनकी पंक्तियाँ इंसानियत, मोहब्बत और रूहानी सफर की झलक दिखाती हैं। इस लेख में हम आपको Bulleh Shah Shayari in Hindi प्रस्तुत कर रहे हैं, जो दिल और आत्मा दोनों को छू लेती है।
बुल्लेह शाह की शायरी सरल भाषा में गहरी बातें कह देती है। उनका संदेश इंसान को खुद से और खुदा से जोड़ने का माध्यम है। उनके शब्द आज भी उतने ही असरदार हैं जितने सैकड़ों साल पहले थे।
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साहित्य प्रेमियों और रूहानी तलाश करने वालों के लिए बुल्लेह शाह की कविताएँ अमूल्य धरोहर हैं। इन्हें पढ़कर जीवन के नए दृष्टिकोण का अनुभव होता है। एक बार आप उनकी रचनाओं में डूब जाएँ तो हर शब्द दिल पर असर छोड़ता है।
इनके अलावा, आप ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म पर भी उनकी रचनाओं का आनंद ले सकते हैं। जैसे कुछ पाठक shayari का संग्रह पढ़कर प्रेरित होते हैं और उन्हें अपने जीवन में अपनाते हैं।
Bulleh Shah Shayari in Hindi
ना मैं मोमिन विच मस्जिद दा, ना विच कुफ़र दी शरर
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ना मैं पाक विच पलीता, ना मैं अंदर मलीन
ना मैं सच विच सच्चा, ना झूठ विच फरेबी
ना मैं अंदर रमजां, ना मैं अंदर रोज़ा
ना मैं हज विच हजाई, ना मैं अंदर उमरा
ना मैं अंदर तोराह, ना मैं अंदर इंजील
ना मैं अंदर किताबां, ना मैं अंदर कुरान
ना मैं अंदर जन्नत, ना मैं अंदर दोज़ख
ना मैं अंदर आदम, ना मैं अंदर हव्वा
बुल्ला की जाणां मैं कौन…
शायरी साझा करने का आनंद
बुल्लेह शाह की यह शायरी आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ आसानी से साझा कर सकते हैं। चाहें तो इन्हें WhatsApp, Facebook, Twitter, या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर शेयर करें। इन पंक्तियों को पढ़ने और साझा करने से एक नई सोच और गहराई का अनुभव होता है।