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भरोसा एक ऐसा रिश्ता है जो नज़रों से नहीं, दिल से बनता है। जब हम किसी पर भरोसा करते हैं, तो अपने जज़्बात, अपने सपने और अपनी उम्मीदें उस इंसान के हाथों सौंप देते हैं।
शायरी की दुनिया में भरोसे को अलग ही मुकाम मिला है। कभी ये भरोसा हमें किसी के बेहद करीब ले आता है, तो कभी इसके टूटने पर दिल बिखर जाता है। इन जज़्बातों को जब अल्फाज़ मिलते हैं, तो वो बन जाते हैं भरोसे की शायरी।
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भरोसे की अहमियत और उसकी नाजुकता को शायरों ने खूबसूरती से अपने कलाम में पिरोया है। चाहे वो रिश्ता दोस्ती का हो, प्यार का या किसी और भावना का—हर रिश्ते की नींव भरोसे से ही रखी जाती है।
आइए पढ़ते हैं कुछ चुनिंदा शायरियाँ जो भरोसे की ताकत और उसकी टूटन, दोनों को बेहद खूबसूरती से पेश करती हैं।
भरोसे पर 10 बेहतरीन शायरी
भरोसा करना सीखो मगर अंधा नहीं,
क्योंकि सबसे ज़्यादा चोटें इसी पर मिलती हैं।Advertisement
हमने जिन पर सबसे ज़्यादा भरोसा किया,
अक्सर वही हमें सबसे ज़्यादा तोड़ गए।
भरोसा वो जज़्बा है जो शब्दों का मोहताज़ नहीं,
बस एक एहसास है जो दिल से दिल तक जाता है।
एक भरोसे ने उम्रभर का साथ छुड़ा दिया,
और एक झूठ ने रिश्ता ही ख़त्म कर दिया।
भरोसा टूटे तो आवाज़ नहीं होती,
मगर दर्द बहुत गहरा होता है।
भरोसा बहुत कीमती होता है,
जो हर किसी को नहीं दिया जाता।
जिसने भी दिल से निभाया रिश्ता,
वही सबसे ज़्यादा टूट कर रोया।
भरोसा रेत जैसा है,
मुट्ठी में जितना कसो, उतना ही फिसलता है।
भरोसे की डोर बहुत नाज़ुक होती है,
एक बार टूट जाए तो फिर जुड़ती नहीं।
भरोसा जब टूटता है,
तो शब्दों से ज़्यादा खामोशियाँ बोलती हैं।
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