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मिर्ज़ा ग़ालिब, एक ऐसा नाम जो उर्दू शायरी का पर्याय बन चुका है। उनकी शायरी में मोहब्बत, दर्द, और ज़िंदगी का ऐसा मेल मिलता है जो पढ़ने वाले के दिल में गूंज बनकर रह जाता है। ग़ालिब की हर ग़ज़ल, हर शेर में एक गहराई होती है जो वक़्त के साथ और भी निखरती जाती है।
ग़ालिब का कलाम महज़ अल्फ़ाज़ नहीं होते, वो एक एहसास होता है, एक सोच, जो हर पढ़ने वाले को खुद से जोड़ देता है। उनकी शायरी में इश्क़ की तासीर भी है और तन्हाई की कसक भी। यही वजह है कि आज भी मिर्ज़ा ग़ालिब को पढ़ना अपने आप में एक आध्यात्मिक अनुभव जैसा महसूस होता है।
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उनकी भाषा में नज़ाकत है, मगर बातों में बेबाकी। चाहे इश्क़ में नाकामी हो या ज़िंदगी की तल्ख़ सच्चाइयाँ, ग़ालिब ने हर जज़्बे को अपने अल्फ़ाज़ में पिरोया। उनका अंदाज़, उनकी सोच और उनके शेर आज भी उतने ही मौजूं हैं जितने उस दौर में थे।
यहाँ हम आपके लिए लाए हैं मिर्ज़ा ग़ालिब की 10 चुनिंदा शायरियाँ, जिन्हें आप पढ़ें, महसूस करें और अपनों से शेयर करें।
Shayari Ghalib – दिल की गहराइयों से निकले लफ़्ज़
“हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।”Advertisement
“दिल-ए-नादान तुझे हुआ क्या है?
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?”
“हमको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन,
दिल के बहलाने को ‘ग़ालिब’ ये खयाल अच्छा है।”
“इश्क़ पर जोर नहीं है ये वो आतिश ‘ग़ालिब’,
कि लगाये न लगे और बुझाये न बने।”
“कोई उम्मीद बर नहीं आती,
कोई सूरत नजर नहीं आती।”
“दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त, दर्द से भर न आये क्यों,
रोएंगे हम हजार बार, कोई हमें सताए क्यों?”
“रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं कायल,
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है?”
“हुए मर के हम जो रुसवा, हुए क्यों न ग़र्क-ए-दरिया,
न कभी जनाज़ा उठता, न कहीं मक़ाम होता।”
“न था कुछ तो खुदा था, कुछ न होता तो खुदा होता,
डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता।”
“बस कि दुश्वार है हर काम का आसां होना,
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसां होना।”
ग़ालिब की शायरी को करें शेयर, अल्फ़ाज़ जो दिल से दिल तक जाएं
मिर्ज़ा ग़ालिब की शायरी ऐसी विरासत है जिसे जितना बांटा जाए, उतनी ही महकती है। आप इन शायरियों को WhatsApp स्टेटस, Facebook पोस्ट या Instagram कैप्शन के रूप में शेयर कर सकते हैं। साथ ही Twitter (अब X), Telegram और Threads जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर भी इन शेरों को साझा कर सकते हैं। हर अल्फ़ाज़ किसी की रूह को छूने की ताक़त रखता है, तो आज ही इस खज़ाने को अपनों तक पहुँचाएँ।